हमलोग शिक्षक दिवस क्यों मनाते हैं। शिक्षक दिवस पर विशेष निवंध (An article on Teachers day by Kumar Saurav Patel)

शिक्षक दिवस पर निवंध / भाषण 

कबीर दास ने कहा था -
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए
इसके अर्थ में कबीर दास जी ने समझाया है कि जब गुरु और भगवान दोनों एक साथ खड़े हो तो इंसान दुविधा में पड़ जाता है कि पहले किसका चरण स्पर्श करूँ । तब कबीर दास जी बताते हैं कि पहले गुरु का चरण स्पर्श करना चाहिए क्योंकि गुरु ही भगवान तक पहुंचने का ज्ञान देते हैं इसलिए हमें हमारे गुरु का सम्मान करना चाहिए ।
शिक्षकों का हमारे जीवन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है । वे हमारे जीवन को सही आकार प्रदान करते हैं । हमारे शिक्षक हमारे मार्गदर्शक हैं । इसलिए हम आज जो भी हैं वह हमारे शिक्षक का योगदान है। शिक्षक ही हमें सही गलत में फर्क करना सिखाते हैं।

एक शिक्षक वह दीपक है जो खुद जलकर अपने शिष्यों के  जीवन में उजाला भरते हैं। अभी अपना पूरा ज्ञान तथा अपनी पूरी मेहनत हमें सफल बनाने में लगा देते हैं। अगले हमेशा हमें सफल होने का रास्ता दिखाते हैं।
शिक्षक दिवस वह दिन है जिस दिन हम अपने शिक्षकों को बता सकते हैं कि उनका हमारे जीवन में क्या योगदान है ।शिक्षकों के लिए हमारे मन में क्या सम्मान है वह शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों को दिखा सकते हैं । जिस लगन से वह अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को भूलकर हमें आगे की राह दिखाते हैं वह  सराहनीय है। हम उनके योगदानो को शिक्षक दिवस के अवसर पर उन्हें भाषण के माध्यम से बता सकते हैं।हम भविष्य में आगे चलकर कितना भी बड़ा आदमी क्यों न बन जाएं पर अपने माता पिता तथा गुरु से बड़ा नही हो सकते ।इस दिन सभी छात्र एवम छत्राएँ शिक्षकों को सम्मान देते हैं और बधाइयां देकर धन्यवाद करते हैं कि उन्हें ऐसे महान शिक्षक मिले।

आइये अब जानते हैं कि शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है ।


शिक्षक दिवस डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को मनाया जाता है । डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था। वह भारत के पहले उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति बने ।वह एक बहुत बड़े शिक्षक और विद्वान थे। वे शिक्षकों का बहुत इज्जत करते थे इसलिए उनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

जब डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने थे तब उनके कई दोस्तों और स्टूडेंट्स ने उनसे अनुरोध किया था कि उन्हें उनका जन्मदिन मनाने की अनुमति दें । पर  डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि मैं अपना जन्मदिन मनाने से ज्यादा खुशी तब महसूस करूंगा जब इस दिन को पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए । तभी से हम लोग 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं।

हमने जाना कि शिक्षक दिवस क्यों मनाते हैं । उम्मीद करता हूँ कि आपको ये  आर्टिकल पसंद आया होगा ।

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